Jun 14, 2011

थाने में नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार


जनज्वार : दस जून 2011 को लखीमपुर (खीरी) के थाना निघासन में चौदह वर्षीय नाबालिग लड़की सोनम के साथ पुलिसकर्मियों द्वारा सामूहिक बलात्कार और उसके बाद उसकी हत्या की घटना को संज्ञान में लेते हुए मानवाधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) का पांच सदस्यीय जांच दल ने 11 जून 2011 को घटनास्थल का दौरा किया।

इस टीम में पीयूसीएल के उत्तर प्रदेश संगठन सचिव शाहनवाज आलम, राजीव यादव, मानवाधिकार कार्यकर्ता रवि शेखर, स्वतंत्र पत्रकार और जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसाइटी के संयोजक विजय प्रताप तथा महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय वर्धा के  प्राध्यापक शरद जायसवाल शामिल थे।

टीम ने जांच के दौरान पीड़ित पक्ष के परिजनों और आसपास के लोगों से मुलाकात कर घटना के बारे में जानकारी हासिल की। पुलिस अधिकारियों से मिलकर मामले के बारे में पूछताछ करने की कोशिश की गयी, लेकिन उनका रवैया असहयोगात्मक रहा।

मृतक सोनम की मां तरन्नुम ने बताया कि शुक्रवार को दिन में करीब ग्यारह बजे उनकी चौदह वर्षीय बेटी सोनम और पांच वर्षीय पुत्र अरमान भैस चराने गए थे। उनकी भैंस थाने के अंदर घुस गई, जिसको लेने सोनम थाने के अंदर गई। वहां पुलिस वाले उसे मेस के अंदर घसीटते हुए ले गए। उसके बाद सोनम के साथ सामूहिक बलात्कार कर उसे थाने के पीछे भिलोर के पेड़ पर लटका दिया।

सोनम की मां ने जांच दल को बताया कि अरमान ने यह बात जब उसे बतायी तो वह दौड़ती हुई सोनम की लाश के पास पहुंची। वहां सोनम की लाश पेड़ से लटक रही थी। उसके कपड़े अस्त-व्यस्त थे। उसके शरीर पर चोटों के कई निशान और जाँघों के बीच से बहता खून बलात्कार की पुष्टि कर रहे थे।

मृतक सोनम के शोक संतृप्त परिजन
 सोनम की हालत देखकर उसकी माँ चिल्लाने लगी, तो पुलिस वालों ने उसे गाली देते हुए कहा कि यहां क्यों शोर मचा रही हो, तुम्हारी लड़की ने आत्महत्या की है। लाश लेके यहां से भाग जाओ, नहीं तो तुमको बहुत मार मारेंगे। सोनम की मां तरन्नुम ने आगे बताया-‘मैं अपनी बेटी की लाश लेकर रोती-चिल्लाती अपने घर पहुंची, जहां काफी भीड़ इकट्ठा हो गई। इसी दौरान एसओ निघासन, एसडीएम तथा सादी वर्दी में सीओ साहब पहुंचे। मैंने और वहां मौजूद बाकी लोगों ने जब दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की तो पुलिसवाले मुझे धमकाने लगे और कहने लगे कि तुम्हारी लड़की ने आत्महत्या की है, इसलिए कोई मुकदमा दर्ज नहीं होगा।’

पुलिसवाले घर पर ही लाश का पंचनामा भरने लगे, जिसका लोगों ने जमकर विरोध किया और पुलिस प्रशासन के विरुद्ध नारे लगाने लगे। लोगों का बढ़ता गुस्सा देखकर पुलिस वाले मुकदमा दर्ज करने के लिए तैयार हो गए। तरन्नुम के मुताबिक उसके घर पर जो पंचनामा भरा गया था, उसे पुलिस वालों ने फाड़ दिया। उसने अपने बेटे अरमान के बताए गए हुलिए के अनुसार दरोगा वीके सिंह, सिपाही एसके सिंह तथा फालोवर रामचंद्र के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज करने के लिए तहरीर दी, लेकिन पुलिस वालों ने उसकी तहरीर लेने से मना कर दिया। उससे कहा गया कि मुकदमा अज्ञात में दर्ज करवाना हो तो करवा लो, नहीं तो मामला यहीं खत्म कर देंगे। सोनम की मां के मुताबिक उसने दबाव में मजबूरन पुलिसवालों के कहे अनुसार लिखी तहरीर पर अंगूठा लगा दिया।

जांच दल ने जब सोनम के भाई पांच वर्षीय अरमान से बातचीत की तो उसने बताया, ‘मैं अपनी दीदी के साथ भैस चरा रहा था तो भैंस थाना परिसर में चली गई। हम लोग उसे लेने गए, तभी कुछ पुलिसवाले आए जिनमें से एक ने मेरे सिर पर बंदूक तानकर चुप रहने को कहा और दीदी को अंदर कमरे में घसीटते हुए ले गए। काफी देर बाद पुलिस वालों ने दीदी को पेड़ से लटका दिया और मुझे वहां से भगा दिया।’ वह वहां से भागकर घर आया और अपनी मां से सारी बात बतायी। 

सोनम के पिता इन्तजाम अली कहते हैं, ‘अरमान ने जिन पुलिस वालों के बारे में बताया उसके मुताबिक वे तीन लोग दरोगा वीके सिंह, सिपाही एसके सिंह और फालोवर रामचंद्र हैं।

जांच दल ने घटना के बारे में पूछताछ कर मामले के बारे में पुलिस का पक्ष तथा पोस्टमार्टम रिपोर्ट और प्रथम सूचना रिपोर्ट की नकल प्राप्त करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस वालों का व्यवहार असहयोगात्मक और अभद्रतापूर्ण रहा।

इस वीभत्स घटना के बारे में स्थानीय लोगों से भी बातचीत की गयी। सबसे चौंकाने वाली बात सोनम के साथ हुए बलात्कार और हत्या की घटना में पुलिस की संलिप्तता को स्पष्ट करती है कि पुलिस इस पूरे मामले को आत्महत्या के रुप में प्रचारित करने में जुटी हुई है। इसके लिए वह तथ्यों को छुपाने, तोड़ने-मरोड़ने में लगी हुई है। यहां तक कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट को भी जारी नहीं किया गया है।

इस तथ्य की पुष्टि बारह जून 2012 के अमर उजाला की यह खबर भी करती है जिसमें लिखा है ‘देर शाम साढ़े सात बजे शव का अंतिम संस्कार निघासन कस्बे में कर दिया गया। इसके बाद भी पुलिस मुखिया ने पोस्टमार्टम न मिलने की बात कही है। वहीं सीएमएस डॉक्टर एचटी हुसैन ने अमर उजाला को बताया कि रिपोर्ट पोस्टमार्टम के कुछ देर बाद भेज दी गई थी। इसकी कापी एसपी कार्यालय को भेजी गई।' 
लखीमपुर पुलिस स्टेशन

वहीं दूसरी ओर दैनिक समाचार पत्र हिन्दुस्तान में बारह जून 2011को ‘पीएम रिपोर्ट से उलझी गुत्थी रेप की पुष्टि नहीं’ शीर्षक से छपी खबर में लिखा है कि ‘‘दिनभर हुए बवाल के बाद देर शाम जब डॉक्टरों ने पीएम रिपोर्ट पुलिस को सौंपी तो उस रिपोर्ट में बालिका के साथ रेप करने की कहीं पुष्टि नहीं हुई। पीएम रिपोर्ट आने के बाद अब ये मामला और उलझ गया है।’’

समाचार पत्रों के अवलोकन से यह भी पता चलता है कि सोनम की मां तरन्नुम की तहरीर पर अज्ञात लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ है। साथ ही पुलिस अधीक्षक लखीमपुर (खीरी) ने घटना के समय ड्यूटी पर तैनात ग्यारह पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है।

गौरतलब है कि  सोनम के पिता इन्तजाम अली फेरी लगाकर अपना और अपने परिजनों का भरण-पोषण करते हैं। इस दौरान वे निर्माणाधीन निघासन थाने में बतौर मजदूर काम करने लगे थे, जिसमें उन्हें रोजाना मजदूरी मिल जाती थी। इंतजाम अली का घर थाने से लगा हुआ था, इसलिए ठेकेदार ने उन्हें सामान की रात में रखवाली के लिए चौकीदार के रुप में भी काम दे रखा था। घटना वाले दिन इंतजाम अली घर पर नहीं थे, वे अपनी बड़ी बेटी रुक्सार की शादी के कार्ड बांटने अपने ससुराल गए थे।

जांच दल के निष्कर्ष

  • नाबालिग सोनम के साथ बलात्कार और हत्या पुलिसकर्मियों ने थाना परिसर निघासन में की।
  • बलात्कार और हत्या को छिपाने के लिए दोषी पुलिसकर्मियों ने आत्महत्या का केस बनाने के लिए शव को पेड़ से लटका दिया।
  • बलात्कार और हत्या की घटना को छिपाने और विधिक प्रक्रिया से बचने के लिए थाने के परिसर में पेड़ से लटके सोनम के शव को पुलिस कस्टडी में न लेकर दोषी पुलिसकर्मियों ने सोनम की मां को डरा-धमकाकर शव के साथ भगा दिया।
  • दोषी पुलिसकर्मियों को बचाने के लिए एसओ निघासन, एसडीएम निघासन और सीओ निघासन ने सोनम की मां को डराया-धमकाया तथा नामजद प्रथम सूचना रिपोर्ट न दर्ज कर अज्ञात लोगों के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट कराने के लिए मजबूर किया।
  • दोषी पुलिसकर्मियों को बचाने के लिए पोस्टमार्टम का निष्कर्ष आने के बावजूद उसे जारी नहीं किया गया, जो पोस्टमार्टम रिपोर्ट की सत्यता पर संदेह पैदा करता है।

जांच दल की संस्तुति

  • थाना परिसर में बलात्कार के बाद सोनम की हत्या की निष्पक्ष जांच किसी सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश या जनपद न्यायाधीश से करायी जाय।
  • सोनम के परिजनों को उचित मुआवजा तथा सुरक्षा राज्य सरकार से मुहैया कराय जाये।
  • सोनम के बलात्कार और हत्या में लिप्त दोषी पुलिसकर्मियों को तत्काल गिरफ्तार किया जाये।
  • राज्य सरकार को निर्देशित किया जाय कि मानवाधिकार आयोग तथा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा डीके बसु केस में जारी किए गए निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाना सुनिश्चित कराए। 


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