Dec 19, 2010

बलात्कारी सेना, हत्यारी फौज


संभव है यह विडियो देख आप अपने बच्चों की आंखें ढंक लें,परिवार के दूसरे सदस्यों को भी देखने से मनाही करें और खुदा से कहें कि वह आपको इस शोक  से उबरने का साहस दे। शोक और घृणा से भर देने वाला यह विडियो उस श्रीलंकाई सेना की जीत का है जिसकी खुशी में साझीदार हमारी सरकार भी रही है।

यह विडियो लिट्टे विद्रोहियों के 25साल पूराने संघर्ष के खात्मे और 70 वर्ष पूराने इतिहास के छिन्न-भिन्न किये जाने का है जिसकी खुशी हमारे देश के शासकों को भी है। केंद्रीय गृहमंत्री पी.चिदंबरम ने तो बकायदा बयान दिये कि आतंकियों से निपटने में श्रीलंका ने मिसाल कायम की है। गृहमंत्री का यह उत्साही बयान भारतीय संदर्भों में अधिक चिंताजनक है। क्योंकि हमारे देश में भी माओवादी-व्यवस्था परिवर्तन के लिए सरकार के खिलाफ हथियार बंद संघर्ष चला रहे हैं और पूर्वोत्तर और कश्मीर में अलगाववादियों के संघर्ष चरम पर हैं।

लिट्टे विद्रोहियों पर श्रीलंकाई सेना की फैसलाकून जीत की घोषणा के तीन महीने बाद लंदन स्थित चैनल फोर ने यह विडियो प्रसारित किया था। तब श्रीलंका की सरकार ने इसे फर्जी करार दिया था। मगर बाद में संयुक्त राष्ट्र संघ की जांच  में प्रसारित विडियो का सही पाया गया।



दुबारा यह विडियो पहले के मुकाबले ज्यादा विस्तार से इस वर्ष नवंबर माह में चैनल ने उस समय प्रसारित किया जब श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे लंदन पहुंचे। राजपक्षे लंदन में इस बार व्यक्तिगत कारणों से आये थे। विडियो में साफ सुना जा सकता है कि कैसे मृत नंगी महिलाओं का विडियो बनाते हुए श्रीलंकाई सेना के जवान गालियां दे रहे हैं और उन्हें इसी काबिल बता रहे हैं।

चैनल 4न्यूज के विदेश संवाददाता जोनाथन मिलेर कहते हैं कि ‘हमने पांच मिनट तीस सेकेंड का विडियो संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्यों को भेजा था जिसे देख उन्होंने राय जाहिर किया कि इसकी ‘अंतराष्ट्रीय युद्ध अपराध’के तहत जांच होनी चाहिए।

अंतरराष्ट्रीय गैरसरकारी संस्था एमनेस्टी इंटरनेशल के सैम जैरिफी ने कहा कि ‘हमने नये विडियो में कुछ नये तथ्य ये पाये हैं। विडियों में दिखायी दे रही दो महिला कैदियों की स्थिति देख लग रहा है कि उनके साथ यौन अपराध हुआ है।’जबकि इस विडियो को श्रीलंका के उच्चायोग ने फर्जी बताया है और विडियो को पश्चिम के लिट्टे और अलगाववादी समर्थकों की करतूत करार दिया है।

यह विडियो लंबे समय तक यूट्यबू पर भी था। बाद में इसे कश्मीर में सेना की ज्यादतियों को लेकर जारी विडियो के साथ ही वहां से हटा दिया गया। विडियो देख साफ हो जाता है कि श्रीलंकाई सरकार गृहयुद्ध में अपने ही देश के नागरिकों के विद्रोह से कैसे निपटी।

ऐसे में सवाल है कि क्या हमारे देश में भी विद्रोहियों से निपटने का यही तरीका अपनाया जायेगा या अपनाया जा रहा है। क्योंकि केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने तमिल विद्राहियों के खिलाफ श्रीलंकाई सरकार और सेना की कार्यवाही की वाहवाही की थी और उसे कार्रवाई का जायज तरीका बताया था।

5 comments:

  1. जयशंकरSunday, December 19, 2010

    मैं कई बार कोशिश कर चुका हूँ पूरी विडियो देखने की पर अभी -अभी देख सका हूँ. मन में सवाल उठ रहा है क्या दुनिया में जीत का इतिहास इसी तरह लिखा जाता है. आखिर इस युद्ध में कौन जीता और हारा है. इस जीत पर चिदंबरम की बधाई शर्मनाक है.

    ReplyDelete
  2. क्या भारत में सेना ऐसा नहीं कर रही है. मणिपुर की इरोम शर्मीला का आमरण अनशन इसी बात का जीता जागता उदहारण है. कश्मीर में यही हाल है और माओवादियों के साथ भी वही हो रहा है. इसलिए सवाल यह नहीं है कि चैनल ४ ने राजपक्षे के जाने पर सवाल किया. सवाल यह है कि क्या चैनल ४ में हिम्मत है कि भारतीय गृहमंत्री और प्रधानमंत्री के जाने पर भारत में हो रहे अत्याचारों को दिखायेगा. नहीं दिखायेगा क्योंकि भारत का बाजार बहुत बड़ा है और बाजार से मुकाबले में सभी संघर्ष आज के दौर में मुंह की खा रहे हैं.

    ReplyDelete
  3. यह झुरझुरी पैदा करने वाला वीडियो है... श्रीलंका ’युद्ध’ का यह होलोकास्ट है..एक तरह का.. मैंने कुछ दिन पहले ही इसे देखा था...साझा करने के लिए धन्यवाद!"

    ReplyDelete
  4. अज्ञातMonday, December 20, 2010

    गिरफ़्तारी
    पिटाई
    उघड़ाई
    बलात्कार
    हत्या
    और फिर
    उघाड़कर
    अट्टहास,
    क्या आतंकवाद पर लोकतंत्र की जीत
    इतनी ही खूबसूरत होती है...

    ReplyDelete
  5. shilpa thakur, jnuTuesday, December 21, 2010

    Its a shameful history of world military, horror !

    ReplyDelete