Mar 13, 2011

पिकनिक पार्टी नहीं है महिला दिवस


महिला दिवस पर सौंदर्य प्रसाधन और तरह-तरह के वस्त्राभूषण बनाने वाली कंपनियाँ फैशन शो आयोजित करती हैं।  लेकिन ये समझना जरूरी है कि महिला दिवस सिर्फ औरतों के पहनने-ओढ़ने या सिर्फ पिकनिक-पार्टी का ही दिन नहीं है...


महिला दिवस के कार्यक्रमों की श्रृंखला में भारतीय महिला फेडरेशन और घरेलू कामकाजी महिला संगठन की इंदौर इकाई ने 11 मार्च 2011 को ‘कामकाजी महिलाओं के संघर्ष और उनकी ताकत’ विषय पर व्याख्यान,  नाटक और महिलाओं की रैली का आयोजन किया गया। अर्थशास्त्री डॉ. जया मेहता ने कहा कि एक तरफ सरकार खाद्य सुरक्षा कानून को लगातार टालती जा रही है तो   दूसरी तरफ अनाज को विशाल कंपनियों के चंगुल में फँसाना चाहती है, जिनका मुख्य मकसद गरीब जनता का पेट भरना नहीं बल्कि मुनाफा कमाना है।

जया मेहता ने जोर देते हुए कहा कि देश के लोगों की आधी आबादी को भरपेट अनाज  नसीब नहीं होता। देश की 45प्रतिशत महिलाएँ रक्ताल्पता यानी एनीमिया से पीड़ित हैं। कमजोर माएं  कमजोर बच्चों को जन्म देती हैं। नतीजा ये है कि हमारे देश में कुपोषित बच्चों की तादाद दुनिया में सबसे ज्यादा है। इन कमजोर बच्चों का मस्तिष्क भी पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता। जिन्हे भरपेट खाना तक नहीं मिल पाता, वे भला अमीर और मध्यम वर्ग के बच्चों के साथ किस तरह तरक्की की दौड़शामिल हो सकते हैं।

शहीद भवन पर आयोजित इस सभा को संबोधित करते हुए घरेलू कामकाजी महिला संगठन की ओर से सिस्टर रोसेली ने कहा कि महिलाओं को भी ये समझना चाहिए कि उनकी समस्याओं का हल धार्मिक जुलूसों में शामिल होने से नहीं निकलेगा। उन्हें संगठित होकर अपनी लड़ाई लड़नी होगी। हमें उन्हें जोड़ने के और मजबूत उपाय करने चाहिए।

आँगनवाड़ी यूनियन की अनीता  ने कहा कि 21 बरस से लड़ते-लड़ते उन्होंने रु. 275 मासिक से 1500 और अब 3000 का वेतन हासिल हुआ है। ये लड़ाई जारी रखनी होगी नहीं  तो सरकार कुछ नहीं देने वाली। सभा को निर्मला देवरे और मनीषा वोह ने भी संबोधित करते हुए कहा कि हम मजदूर औरतों को एक-दूसरे की मदद के लिए साथ आना चाहिए.



कार्यक्रम की एक अन्य वक्ता  कल्पना मेहताने‘स्वास्थ्य की राजनीति का शिकार बनतीं महिलाएँ’ विषय पर बात रखी .कल्पना ने बताया कि  अमेरिका व अन्य विकसित देश भारत जैसे तीसरी दुनिया के देशों की महिलाओं पर तरह-तरह के गर्भ-निरोधक आजमाते हैं और अशिक्षित व जागरूकताहीन जनता की जिंदगी के साथ नेता,अफसर और कंपनियाँ खिलवाड़ करती हैं।

भारतीय महिला फेडरेशन की सचिव सारिका श्रीवास्तव ने गतिविधियों का ब्यौरा देते हुए पिछले वर्ष  दिवंगत हुए कॉमरेड अनंत लागू और कॉमरेड राजेन्द्र केशरी को सभा की ओर से श्रृद्धांजलि दी। सभा का संचालन पंखुड़ी मिश्रा ने किया।

सभा के अंत में महिला मजदूरों के संघर्षों पर आधारित एक नाटक की प्रस्तुति हुई जिसमें गारमेंट फैक्टरी में काम करने वालीं, बीड़ी बनाने वालीं, भवन निर्माण मजदूरी करने वालीं और जमीन से बेदखली की परेशानियों से लड़ने वाली आम मेहनतकश महिलाओं के जीवट और जोश की कहानियाँ थीं। नाटक का शीर्षक था ‘जब हम चिड़िया की बात करते हैं’। नाटक में पंखुड़ी, रुचिता, सारिका, नेहा, शबाना, रवि और आशीष ने अभिनय किया।




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