Jan 2, 2011

जहाँ मैं साँस ले रहा हूँ अभी

नीलाभ 


जहाँ मैं साँस ले रहा हूँ अभी
 वहाँ से बहुत कुछ ओझल है
ओझल है हत्यारों की माँद
 ओझल है संसद के नीचे जमा होते
किसानों के ख़ून के तालाब
ओझल है देश के सबसे बड़े व्यापारी
की टकसाल
ओझल हैं ख़बरें और तस्वीरें और शब्द


जहाँ मैं साँस ले रहा हूँ अभी
वहाँ से ओझल हैं
सम्राट के आगे हाथ बाँधे खड़े फ़नकार
ओझल हैं उनके झुके हुए सिर,
सिले हुए होंट, मुँह पर ताले, दिमाग़ के जाले
जहाँ मैं साँस ले रहा हूँ अभी
वहाँ एक आदमी लटक रहा है
छत की धन्नी से बँधी रस्सी के फन्दे को गले में डाले
बिलख रहे हैं कुछ औरतें और बच्चे
भावहीन आँखों से ताक रहे हैं पड़ोसी
अब भी बाक़ी है
लेनदार बैंकों और सरकारी एजेन्सियों की धमकियों की धमक


जहाँ मैं साँस ले रहा हूँ अभी
वहाँ दूर से सुनायी रही हैं
हाँका लगाने वालों की आवाज़
धीरे-धीरे नज़दीक आती हुईं
पिट रही है डुगडुगी, भौंक रहे हैं कुत्ते,


जहाँ मैं साँस ले रहा हूँ अभी
भगदड़ मची हुई है आदिवासियों में,
कौंध रही हैं संगीनें वर्दियों में सजे हुए जल्लादों की
शिकार पर निकला है राजा चिदम्बरम
वेदान्त के रथ पर
जहाँ मैं साँस ले रहा हूँ
वहाँ एक सुगबुगाहट है
आग का राग गुनगुना रहा है कोई
बन्दूक को साफ़ करते हुए,
जूते के तस्मे कसते हुए,
पीठ पर बाँधने से पहले
पिट्ठू में चीज़ें हिफ़ाज़त से रखते हुए
लम्बे सफ़र पर जाने से पहले
उस सब को देखते हुए
जो नहीं रह जाने वाला है ज्यों-का-त्यों
उसके लौटने तक या न लौटने तक
इसी के लिए तो वह जा रहा है
अनिश्चित भविष्य को भरे अपनी मैगज़ीन में
पूरे निश्चय के साथ

3 comments:

  1. Chinmay AgnihotriSunday, January 02, 2011

    ओझल है संसद के नीचे जमा होते
    किसानों के ख़ून के तालाब
    - nilabh ji ki is line ke liye koti-koti badhai.

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  2. समीचीनSunday, January 02, 2011

    तो अब कविताओं का मौसम शुरू हो गया है, अब लड़ाई कविताओं से लड़ी जाएगी. बधाई नीलाभ बाबु

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  3. इस "ओझल" में सबकुछ साफ-साफ दिखा दिया..बधाई, शुक्रिया...नीलाभ.....मुकुल सरल

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