Dec 29, 2010

हमीं तो देश हैं, बाकी जो हैं सब देशद्रोही हैं

मानवाधिकार कार्यकर्ता और बाल चिकित्सक डॉ. बिनायक सेन की रिहाई के लिए 27 दिसंबर 2010 को दिल्ली के जंतर-मंतर पर हुए धरने-प्रदर्शन से लौटकर...


मुकुल सरल

                                     फोटो- लोकसंघर्ष ब्लॉग से


हमारे राज में
फूलों में खुशबू!
कुफ़्र है ये तो!

हमारे राज में
शम्मां है रौशन!
कुफ़्र है ये तो!

हमारे राज में
कोयल भला ये
कैसे गाती है?
कोई जासूस लगती है
किसे ये भेद बताती है?

हमारे राज में
क्यों तारे चमके?
चांद क्यों निकला?
दिलों में रौशनी कैसी!
ये सूरज क्यों भला चमका?

हमारा राज है तो
बस अंधेरा ही रहे कायम
हरेक आंख में आंसू हो
लब पे चुप रहे हरदम

हमारे राज में
तारे बुझा दो
सूरज गुल कर दो
हवा के तेवर तीख़े हैं
हवा पे सांकले धर दो

हमारा लफ़्ज़े-आख़िर है
हमारी ही हुकूमत है
हमारे से जुदा हो सच कोई
ये तो बग़ावत है

हमारे राज में ये कौन साज़िश कर रहा देखो
हमारे राज में ये कौन जुंबिश कर रहा देखो

ये कौन लोग हैं जो आज भी मुस्कुराते हैं
ये कौन लोग हैं जो ज़िंदगी के गीत गाते हैं
ये कौन लोग हैं मरते नहीं जो मौत के भी बाद
ये कौन लोग हैं हक़ की सदा करते हैं ज़िंदाबाद

ज़रा तुम ढूंढ कर लाओ हमारे ऐ सिपाहियो
इन्हे जेलों में डालो और खूब यातनाएं दो
अगर फिर भी न माने तो इन्हे फांसी चढ़ा दो तुम
इन्हे ज़िंदा जला दो तुम, समंदर में बहा दो तुम

हमारा राज है आख़िर
किसी का सर उठा क्यों हो
ये इतनी फौज क्यों रखी है
ज़रा तो डर किसी को हो

हमारी लूट पर बोले कोई
ये किसकी जुर्रत है
हमें झूठा कहे कोई
सरासर ये हिमाक़त है

ये कौन जनता के वकील हैं
जनता के डाक्टर
ये कौन सच के कलमकार हैं
दीवाने मास्टर

हमारे से अलग सोचें जो वो सब राजद्रोही हैं
हमीं तो देश हैं, बाकी जो हैं सब देशद्रोही हैं

3 comments:

  1. क्या कविता है मुकुल साहब aapki. hamesha की तरह भीतर तक असर किया. अच्छा लिखते हैं, तेवर बनाये रखिये. बाबरी मस्जिद पर लिखी कविता भी बड़ी अच्छी रही थी. शुक्रिया दोस्त

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  2. ये कौन लोग हैं जो आज भी मुस्कुराते हैं
    ये कौन लोग हैं जो ज़िंदगी के गीत गाते हैं
    ये कौन लोग हैं मरते नहीं जो मौत के भी बाद
    ये कौन लोग हैं हक़ की सदा करते हैं ज़िंदाबाद

    - makul aur samyakool bhi

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  3. बेहतरीन कविता है. दिल को छु गयी...

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