Nov 13, 2010

पहला शशि भूषण स्मृति नाट्य लेखन पुरस्कार घोषित


युवा रंगकर्मी शशि भूषण वर्मा की याद में स्थापित  फाउंडेशन  ने उनकी पहली वर्षी  ४ नवम्बर को आयोजित कार्यक्रम में ‘शशि भूषण स्मृति नाट्य लेखन पुरस्कार’ की घोषणा  की। सम्मान हिंदी के चर्चित नाट्य लेखक,रंग समालोचक और कथाकार हृशीकेष सुलभ को दिया जायेगा. पिछले वर्ष 4नवंबर को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की लापरवाही की वजह से   शशि भूषण वर्मा की एक बीमारी दौरान मौत हो गयी थी. 


शशिभूषण को याद करते दोस्त: नहीं रूकेगा सफ़र

 शशि तब राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में प्रथम वर्ष के छात्र थे। इलाज में लापरवाही और अस्पताल प्रशासन की चूक की वजह से हमें इस विलक्षण प्रतिभा से वंचित होना पड़ा। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (रानावि) में दाखिला लेने के पूर्व शशि का रंगमंचीय सफर लगभग बीस सालों का था। वह बचपन में ही रंग आंदोलन में शामिल हुए और तमाम आर्थिक,सामाजिक दिक्कतों के बावजूद उन्होंने अपने रंगमंचीय सफर को निरंतर जारी रखा।

अपने बीस साल के रंगमंचीय सफर में शशि की बीहड़ प्रतिभा ने कई मुकाम पार किए और संघर्ष की वह जीवटता दिखलाई जो बहुत कम ही रंगकर्मियों में दिखती  है। बिहार की तपती जमीन से शुरू हुआ उसका रंगमंचीय सफर पटना, गया, मसौढ़ी, नौबतपुर जैसे इलाकों और गांव-ज्वार तक फैले खेत-खलिहानों से निकलकर गोवा, रायगढ़, कोलकात्ता, जयपुर, दिल्ली, मुंबई जैसे देश के बड़े शहरों तक गतिमान रहा। उसकी रंगमंचीय प्रतिभा एक साथ कई क्षेत्रों में सक्रिय रही। निर्देशन, अभिनय, संगीत, गायन, वाद्य आदि तमाम रंगमंचीय अवयवों में वह एक साथ सिद्धहस्त थे इसलिए उसकी पहचान एक संपूर्ण रंगकर्मी की थी। अफसोस की हमें इस संपूर्ण रंगमंचीय व्यक्तित्व से असमय ही वंचित होना पड़ा।

सम्मान: ऋषिकेश सुलभ

शशि भूषण की स्मृति में मित्रों,सहकर्मियों और रंगकर्मियों ने शशि भूषण फाउंडेशन की स्थापना की है जिसका मकसद शशि के रंगमंचीय अवदान को बरकरार रखना है. फाउंडेशन के मुताबिक नाट्य लेखकों  को पुरस्कृत कर  हिंदी रंगकर्म में हो रहे नए नाटकों के अभाव को दूर करना है। इस पुरस्कार के तहत नाट्य लेखक को 11,000 रु की राशि, एक शाल और एक स्मृति चिन्ह प्रदान किया जाएगा। यह पुरस्कार हर साल १८ जुलाई को शशि की जन्मतिथि पर नाट्य लेखक को प्रदान किया जाएगा और उसी दिन लेखक के नाट्यलेख की प्रस्तुति भी की जाएगी। पुरस्कारों की घोषणा हर साल उसके निर्वाण दिवस 04 नवंबर को की जाएगी।

इस वर्ष के पुरस्कार की घोषणा पटना के वरिष्ठ रंगकर्मी परवेज अख्तर ने की। विगत तीन दशकों से कथा-लेखन,नाट्य लेखन, रंगकर्म के साथ-साथ हृशीकेष सुलभ की सांस्कृतिक आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी रही है। अमली,बटोली और धरती आबा मौलिक नाटक, माटी गाड़ी (मृच्छकटिकम् की पुनर्रचना) और मैला आंचल (रेणु के उपन्यास का नाट्यांतर) तथा तीन रंग नाटक शीर्षक नाट्य संकलन प्रकाशित हुआ है. कथा लेखन के लिए इस वर्ष लंदन के अंतर्राष्ट्रीय कथा-सम्मान सहित कई दूसरे सम्मान मिल चुके हैं।




3 comments:

  1. एक सार्थक पहल के लिए धन्यवाद.

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  2. ध्यान रखना होगा यह पुरस्कार भी गुटबंदी और जाति के जाल में न फंसे. वैसे आयोजक बता पाएंगे कि पुरस्कार सुलभ को ही क्यों दिया गया. बिहार में ऐसी दर्जनों प्रतिभाएं हैं, जिन्हें यह पुरस्कार दिया जा सकता था फिर ऋषिकेश सुलभ को क्यों. कोई खास वजह.

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  3. अरुणेन्द्रSunday, November 14, 2010

    मेरी भी सहमति है पुरस्कार किसी युवा लेखक को देना चाहिए था, जो स्थापित न हो.

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