Sep 24, 2010

अपना नाम कल वियतनाम आज कश्मीर

वरवर राव


अब तक तो इतना ही समझते थे कि

ईंट का जवाब पत्थर हो सकता है

आज हमारे बच्चे सिखा रहे हैं कि

फौज़ का भी जवाब पत्थर हो सकता है

गोली का जवाब घाटी से

कर्फ्यू  का जवाब खुले मैदान में कद़म उठाने वाली

महिलाएं ही दे सकती हैं

दमन का जवाब आजादी की मांग से ही दिया जा सकता है

आपने कहीं देखा है



हमारे देश, हमारे लोग, झील, नदी, पहाड़

घाटी और

सुन्दर जीवन, वन एक तरफ

और साठ साल से कानून और सेना के कब्ज़े में

छीन ली गई सत्ता एक तरफ

अपना नाम अगर कल वियतनाम हो तो आज कश्मीर है

और  आज भी नक्सलबाड़ी  के साथ  मुक्ति हमारा नारा है.



क्रांतिकारी कवि वरवर राव विप्लव रचयिता संघम के संस्थापक सदस्य हैं .हथियारबंद जनसंघर्षों के पक्षधर होने की वजह से उन्हें अबतक छह वर्ष कारावास में गुजारने पड़े हैं. कारावास के अनुभव पर  उनकी लिखी 'जेल डायरी'  प्रकाशित हुई है.  





4 comments:

  1. रासबिहारी, बस्तरFriday, September 24, 2010

    कश्मीर के हालात पर एक बेहतरीन कविता. मैंने वरवर राव को कभी नहीं देखा मगर उनकी कविताओं से परिचित रहा हूँ. सुविधाभोगी कवियों और राजसत्ता की चाटुकारिता को प्रगतिशीलता कहने वालों को देखना चाहिए कि जनता का साहित्यकार कैसा होता है. वरवर राव को हमारा प्रेम भरा नमस्कार. जय हिंद

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  2. aapne bilkul sahi kaha dost .....bahut taklifdayak hai vaha ke haalat......

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  3. वरवर राव की इस कविता से गुजरना...
    वाकई एक अलग सा अनुभव है...

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  4. jindagi men josh bharati is kavita ke liye varvar rao ko lal salam.

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