Jan 3, 2010

नौ तरह की लीलाएं करने वाले 'नौछमी'

आंध्र प्रदेश के राज्यपाल पद से इस्तीफा देकर देहरादून पहुंचे उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी की बुढौती सांसत में कट रही है. नगर-डगर, गाँव- बाज़ार हर जगह बाबा रंगीला के आन्ध्र प्रदेश राजभवन की चर्चा है जहाँ वे पिछले दिनों राज्यपाल रहते हुए एक साथ तीन महिलाओं के बीच पाए गए थे. यानी सेंडविच मसाज करा रहे थे.
बात मज़े कि है सो सब मज़ा ले रहे हैं...............कुछ दुखित हो लोकतंत्र- लोकतंत्र चिल्ला रहे हैं............मानो कि तिवारी ने इससे पहले इतना बड़ा अपराध ही नहीं किया.............
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहते हुए नारायण दत्त तिवारी ने क्या अपराध किये थे, इसका कच्चा चिठ्ठा प्रदेश के लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी ने पांच साल पहले ही अपने गीत के माध्यम से जनता के बीच सरेआम कर दिया था........लेकिन रास्ट्रीय स्तर पर ''नौछमी नारैणा', नामक यह एल्बम चर्चा में तब आया है जब आन्ध्र प्रदेश में तिवारी बाबा ८६ साल की उम्र में कैमरे के सामने रासलीला में लीन पाए गए.

नौछमी नारैणा के गायक नरेन्द्र सिंह नेगी से वरिष्ट युवा पत्रकार विकास कुमार सिंह की बातचीत...........


पांच साल पहले रिलीज एलबम 'नौछमी नारैणा', आंध्र के पूर्व राज्यपाल नारायण दत्त तिवारी सेक्स कांड के बाद फिर से चर्चा में है, आखिर इस कैसेट में ऐसा क्या है?

यह नारायण दत्त तिवारी के राजनीतिक लीलाओं पर आधारित है।

नौछमी का मतलब क्या है?
नौ किस्म के खेल करने वाले या नौ तरह की लीलाएं करने वाले को नौछमी कहते हैं। भगवान श्रीकृश्ण को नौछमी नारैणा भी कहा जाता है।

यह एलबम पहले उत्तराखण्ड में हिट था और अब पूरे हिंदीभाशी प्रदेषों में, इससे आपको भी कोई आर्थिक लाभ हुआ है?

यह हिट है या नहीं, यह तो एलबम बनाने वाली कंपनी ही बता सकती है। मेरे पास न तो कोई इसका कोई आंकड़ा है और न ही लाभ का हिसाब।

यह एलबम किस कंपनी ने बनाया है?

राणा कैसेट्स नामक कंपनी ने। अब उस कंपनी से मेरा कोई नाता भी नहीं है।

आपने अपने गीत में नारायण दत्त तिवारी के बारे में क्या कुछ कहा है?

मैंने जो कुछ भी कहा है वह अखबारों और पत्रिकाओं में छपता रहा है। हाल के प्रकरण से यह और भी जाहिर हो गया है। हमने कुछ नया नहीं किया है।

जब षुरुआत में नौछमी नारैणा एलबम रिलीज हुआ था तो कैसा रिस्पांस मिला था?

कांग्रेस के कुछ लोगों ने प्रतिबंध लगा दिया था, जबकि कई कांग्रेसी इसे छुप-छुपकर देखते भी थे। लेकिन उत्ताराखण्ड के लोगों ने इसे खूब पसंद किया।

ऐसे एलबम बनाने की प्रेरणा कैसे मिली?

प्रेरणा जैसी कोई चीज नहीं है। यह प्रसंग तो उत्ताराखण्ड के अखबारों में छपता रहा था और मैंने उसी को आधार बनाया।


क्या आप कभी नारायण दत्त तिवारी से मिले हैं?

हां, एक बार मैं उनसे मिला हूं। उन्होंने मुझे चाय पर बुलाया था।

उनसे क्या बातचीत हुई?

उनसे कोई बातचीत नहीं हुई। वे उस दिन अपने भक्तजनों को सत्ता की रेवड़ियां बांटने में मषगूल रहे। फिर मैं लौट आया।

आपने तिवारी जी को ही क्यों टारगेट किया?

व्यापक जनसमुदाय से जिन मुद्दों का जुड़ाव होता है मैं उन्हें टारगेट करता हूं। इस दायरे में कभी तिवारी जी होते हैं तो कभी कोई और। मैंने कांग्रेस, भाजपा और अन्य दलों की कारगुजारियों पर पर भी गीत तैयार किये हैं।

जब आपके एलबम की चर्चा हो रही है तो कैसा लग रहा है?

यह मुझे पता नहीं चल रहा, कैसेट कंपनी वाले बेहतर बता सकते हैं।

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