tag:blogger.com,1999:blog-7405511104012700211.post8625723318165848631..comments2023-07-14T09:31:39.420-04:00Comments on जनज्वार ब्लॉग : एक अंबेडकर इक्कीसवीं सदी कोUnknownnoreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-7405511104012700211.post-72958378583354409852010-12-09T00:45:06.004-05:002010-12-09T00:45:06.004-05:00राजाराम विद्यार्थी बड़ी नामचीन लेखकों में नहीं हैं...राजाराम विद्यार्थी बड़ी नामचीन लेखकों में नहीं हैं मगर बहुत अच्छा लिखा है. देश को वाकई ब्रह्माण वाद और दलित ब्रह्माण वाद से उबरने के लिए एक नए अब्बेदाकर की जरूरत है.रामपाल सोनकरnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7405511104012700211.post-24740175549763578112010-12-09T00:25:25.309-05:002010-12-09T00:25:25.309-05:00jo jati janaganana ka virodh kare hai, unhe ye lek...jo jati janaganana ka virodh kare hai, unhe ye lekh jarur padhana chahiye. good articleAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7405511104012700211.post-50532017827739352992010-12-08T01:47:24.820-05:002010-12-08T01:47:24.820-05:00'नाई ने जातिगत कारणों से उनके बाल नहीं काटे तो...'नाई ने जातिगत कारणों से उनके बाल नहीं काटे तो उनकी बहन उनके बाल काटकर स्कूल भेजती थीं। बिल्कुल साफ सुथरे कपड़ों में नहला-धुला कर।' <br />- अब सवर्णों के साथ अब उन 'नाई' सरीखी पिछड़ी जातियों के बारे में खुलकर बात होनी चाहिए जो आंबेडकर के ज़माने से ही दलितों को लेकर सवर्ण अप्रोच रखते हैं. तब समझ में आएगा की नए सवर्णों में बड़ी संख्या पिछाड़ी जाति समूहों की है.मुकेश वाल्मीकि, अम्बालाnoreply@blogger.com