tag:blogger.com,1999:blog-7405511104012700211.post5982291326712732545..comments2023-07-14T09:31:39.420-04:00Comments on जनज्वार ब्लॉग : पहाड़ से पनाह मांगते लोगUnknownnoreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-7405511104012700211.post-5593705696817400202010-10-03T12:38:31.547-04:002010-10-03T12:38:31.547-04:00लोग कहते हैं कि .....पहाड़ और आपदा ....एक सिक्के क...लोग कहते हैं कि .....पहाड़ और आपदा ....एक सिक्के के दो पहलू हैं ! जानती हो क्यूँ ? क्यूंकि इस देश कि आज़ादी से लेकर आज तक , हमारी तथाकथित सोच ____हमारे राष्ट्रीय दलों द्वारा बंधुवा कर दी गयी है और ये देन है हमारे उन बड़े नेताओ की जिन पर पहाड़ के भोले लोगों आज तक विश्वास करते आ रहें हैं ! पिछले हफ्ते मैं पूर्व मुख्य मंत्री के पास गया था और इस राज्य की आपदा से लेकर ... भ्रष्ट्राचार तक के कुछ ज्वलंत मुद्दों पर बात करनी चाही तो वो अपनी उत्तर प्रदेश की उन सुनहरी यादों में चले गए ----------और यहाँ की बात छोड़ दी ! आज भी जिन के पास हमारे पहाड़ के विकास की कोई सोच या इच्छा नहीं है वे लोग, इस प्रदेश पर राज़ कर रहें हैं ! कुमाऊ में बादल फटने से स्कूल में बच्चे मर गए .......... उसका कारण ठेकेदार द्वारा स्कूल की पिछली दीवार चार इंच की बना कर ....9 इंच का पेमेंट खाना थी निशंक उन बच्चों की याद में १० लाख के स्मारक की घोषणा तो कर गए लेकिन उस ठेकेदार की जांच के बारे में कुछ नहीं कहा जिस के कारण वो बच्चे आज इस दुनियां में नहीं हैं ! अब राहत के नाम पर आने वाला पैसा भी निर्माण के नाम पर वही ठेकेदार लोग खायेंगे जो इसके जिम्मेदार हैं , बाकी त्वरित राहत के नाम पर २००० रुपये के चेक पर पटवारिओं द्वारा ५०० की घूस लेने की बात तो सामने आ ही चुकी है !<br /> <br />धन्य है हमारी ये देव भूमि ...............और धन्य है हैं यहाँ के वीर जवान !<br />ऐसा ही चलता रहा तो <br />ख़त्म हो जायेगा सबका निशान !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7405511104012700211.post-13718814181422621432010-09-29T00:00:13.676-04:002010-09-29T00:00:13.676-04:00दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश मे...दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में बाढ़- क्या अब संभलेंगे लोग. जिस तरह से उत्तराखंड और हिमाचल में नदियाँ गरजी हैं और पहाड़ी-मैदानी इलाके परेशान हुए हैं वह आँख खोलने वाला है. सरकारी एजेंसियां हैं, एनजीओ हैं और पर्यावरणविद हैं- क्या कोई नहीं रोक सकता पहाड़ों को उजड़ने से. इंसानों पर सरकार जो ज्यादती कर रही है उसका जवाब तो जनता नहीं दे पा रही है पर पहाड़ों, नदियों ने संदेशा भिजवा दिया है. अब इसे हम प्रकृति की धमकी माने या सुझाव यह आप पर है.सुलेखा दत्त- शिमला- हिमाचलhttp://rbyadav007@gmail.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7405511104012700211.post-46480587504831393402010-09-28T08:24:20.118-04:002010-09-28T08:24:20.118-04:00limbale ki baat se sahmat.vikas ke badle men jo lo...limbale ki baat se sahmat.vikas ke badle men jo log tabah hue hain uski bharpayi agar muaavja hai to hamen marne se kaun bacha sakta hai .rahul upadhyaynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7405511104012700211.post-53966104897114015502010-09-28T07:38:21.216-04:002010-09-28T07:38:21.216-04:00दिल को छू देने वाली इस रिपोर्ट के लिए सुनीता जी को...दिल को छू देने वाली इस रिपोर्ट के लिए सुनीता जी को बधाई. जो लोग उत्तराखंड नहीं गए होंगे उनके लिए यह त्रासदी आँख खोलने वाली है. यह सवाल जरूरी है कि प्रकृति ने ऐसा क्यों किया. क्या इसके लिए मानव समाज कि असंवेदनशीलता ही जिम्मेदार नहीं है.श्रीनिवास लिमबालेnoreply@blogger.com