tag:blogger.com,1999:blog-7405511104012700211.post5631927595261777218..comments2023-07-14T09:31:39.420-04:00Comments on जनज्वार ब्लॉग : आखिरकार मठ से ही गरजे बाबाUnknownnoreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-7405511104012700211.post-68407225626212321172010-07-30T10:11:51.056-04:002010-07-30T10:11:51.056-04:00राजेन्द्र जी क्रांतिकारी नहीं स्थापित साहित्यकार ...राजेन्द्र जी क्रांतिकारी नहीं स्थापित साहित्यकार हैं तथा उनका इरादा सत्ता से दो- दो हाथ करने का नहीं है. दिक्कत ये है कि वे प्रगतिशील होने का तमगा नहीं छोड़ना चाहते. उन्हें खुले आम यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि वे ज्यादा जोखिम वाली प्रगतिशीलता नहीं दिखा सकते. प्रतिबद्धता/पक्षधरता अपने आप में एक चीज है,उसे संकीर्णता कह कर ख़ारिज करना उचित नहीं है.Arun Kumarnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7405511104012700211.post-52458792200151245182010-07-30T06:39:35.802-04:002010-07-30T06:39:35.802-04:00इस बार सोचा था कि क्यों न प्रतिपक्ष के लिए रायपुर...इस बार सोचा था कि क्यों न प्रतिपक्ष के लिए रायपुर के के डीजीपी विश्वरंजन को आमंत्रित किया जाए.पक्ष की ओर से अरुंधती और अन्य तो होंगे ही. <br /><br />तथ्यजनक गलती - चचा राजिंदर,नु क्या हंस से विश्रंजन की कोई पोस्ट निकली है . रायपुर के डीजीपी........... हमने सुणा था कि वह छत्तीसगढ़ का डीजीपी है.रघुवीर सिंह, हरिभूमि - हरियाणाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7405511104012700211.post-73923396370457056972010-07-29T00:33:42.558-04:002010-07-29T00:33:42.558-04:00"ब्लॉग वालों को छद्म विवादों के लिए ऐसे ही म..."ब्लॉग वालों को छद्म विवादों के लिए ऐसे ही मुद्दों की तलाश रहती है."<br /><br />लगता है अबकि भारी हताशा में डूबे हुए हैं बाबा !! <br /><br />हताशा से उबरने के लिए कभी कभार हंस के दफ्तर से भी निकल आ जाया करिए..<br /><br />अन्यथा बंद कुएं में टर टर करने कभी कोई तुक है.<br /><br />- राज सिंह, मुंबईAnonymousnoreply@blogger.com