tag:blogger.com,1999:blog-7405511104012700211.post5480067691206174959..comments2023-07-14T09:31:39.420-04:00Comments on जनज्वार ब्लॉग : शाहिद बदर का साक्षात्कारUnknownnoreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-7405511104012700211.post-44391892649648313252008-10-02T04:51:00.000-04:002008-10-02T04:51:00.000-04:00साजिद राशिद का तहलका संपादक के नाम खुला पत्र...प्र...साजिद राशिद का तहलका संपादक के नाम खुला पत्र...<BR/>प्रिय तरूण तेजपाल जी, मैं तहलका का नियमित पाठक हूं. इसलिए पिछले दिनों जब तहलका ने सिमी पर केन्द्रित अंक निकाला तो मैंने इसे बहुत उत्सुकता से पढ़ा. लेकिन पढ़कर मैं चकित रह गया. मुझे उम्मीद थी कि तीन महीनों की खोजबीन के बाद आपने सिमी के बारे में जो जानकारी दी होगी उससे निश्चित ही मेरी समझ में बढ़ोत्तरी होगी....<BR/>यह अपेक्षा इसलिए भी थी क्योंकि तहलका पहले भी इस तरह की खोजी रपटों में हर पक्ष की गहन पड़ताल करता है और सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं को सामने रखता है. लेकिन विद्वान खोजी पत्रकार अजीत साही ने तीन महीने की मेहनत और खोजबीन के बाद सिमी के बारे में जो निष्कर्ष प्रस्तुत किया है वह यह है कि सिमी के पदाधिकारी जिन्हें बम विस्फोटों और देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया है वे बेहद मासूम हैं और उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है. पूरी पत्रकारिता का सार यह है, क्योंकि सिमी पर प्रतिबंध का कोई ठोस आधार नहीं बनता, इसलिए उसपर प्रतिबंध नहीं होना चाहिए.<BR/><BR/>मेरे ख्याल से आपके प्रतिनिधि अजीत साही ने तीन महीनों तक ग्यारह शहरों का कष्टदायक सफर तय करके सिमी कार्यकर्ताओं के परिजनों से मिलकर जो मालूमात हासिल की है वह तो बिल्कुल सही है क्योंकि सिमी का अपने बचाव में जो बयान है अजीत साही ने बड़ी ईमानदारी से उसे दर्ज किया है. लेकिन अफसोस सिर्फ इतना है कि उन्होंने इसे कहीं भी क्रास चेक नहीं किया है. और शहरों के बारे में तो नहीं लेकिन मुंबई में अजीत साही ने दूसरा पक्ष जानने के लिए किससे संपर्क किया? मुंबई में अंग्रेजी की वरिष्ठ पत्रकार ज्योति पुनवानी पिछले तीन सालों से मुसलमानों की समस्याओं पर इतना "सहानुभूति पूर्वक" लिखती हैं कि जमात-ए-इस्लामी और सिमी के एक पदाधिकारी ने उन्हें मुसलमान होने का न्यौता ही दे दिया था. साल भर पहले तक ज्योति पुनवानी सिमी को इस्लाम के प्रति अति उत्साही युवाओं का संगठन बताती रही हैं. जमात-ए-इस्लामी के हुकूमत-ए-इलाहिया (दुनियाभर में अल्लाह की हुकूमत) के नजरिये में उन्हें कोई आपत्ति नजर नहीं आती. विशेष न्यायाधिकरण का सिमी से प्रतिबंध हटाने का फैसला आने के बाद १७ अगस्त को टाईम्स आफ इंडिया में इन्हीं ज्योति पुनवानी ने लिखा था हाउ माई परसेप्शन आफ सिमी चेंज्ड, और विस्तार से बताया है कि कैसे सिमी के बारे में उनकी धारणा बदल गयी.<BR/><BR/>तरूण तेजपाल जी, क्या साही से आपको यह नहीं पूछना चाहिए था कि उन्होंने सिमी के चरित्र का दूसरा पक्ष जानने की कोशिश क्यों नहीं की? उन्होंने अपनी पूरी रिपोर्टिंग सिमी के बचाव पक्ष के वकील के तौर पर क्यों किया? आपने सिमी का जो प्रोफाईल दिया है उसमें उसके संस्थापक मोहम्मद अहमदुल्ला सिद्दीकी के बारे में लिखा है कि उन्होंने १९७७ में उन्होंने सिमी की स्थापना की, लेकिन पाठकों को यह बताने की जहमत क्यों नहीं उठायी कि कुछ ही सालों बाद सिद्दीकी ने सिमी से अपना नाता तोड़ लिया था. पिछले साल इंडियन एक्सप्रेस को दिये एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था उन्हें सिमी की स्थापना पर अफसोस है, क्योंकि वह इस्लाम के रास्ते से हटकर जेहाद के रास्ते पर चला गया है. इसी तरह आपने सिमी और जमात-ए-इस्लामी के संबंध पर सिर्फ इतना लिखा गया है कि वह जमात-ए-इस्लामी का एक उपसंगठन था और वह जमात से अलग अपनी पहचान कायम करना चाहता था जबकि हकीकत यह है कि सिमी के जेहादी तेवरों को देखने के बाद जमात ने खुद सिमी से अपना रिश्ता तोड़ लिया था. लेकिन यह भी सच है कि यह संबंध विच्छेद एक दिखावा मात्र था.<BR/>***********************************<BR/><BR/>अब मैं कुछ ऐसे तथ्य रखना चाहूंगा जो अजीत शाही द्वारा ११ शहरों में खोजबीन करने के बाद भी सिमी के बारे में जुटाये नहीं जा सके. १९९६ में अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत कायम होने के बाद सिमी ने उसे अपना आदर्श मानते हुए भारत में नारों और पोस्टरों के जरिए जेहाद का ऐलान कर दिया. २९ अक्टूबर १९९९ को सिमी ने कानपुर में सिमी ने अखिल भारतीय सम्मेलन आयोजित किया था जिसमें देशभर के २० हजार से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था. इस सम्मेलन को फिलीस्तीनी जिहादी संगठन हमास के नेता शेख यासीन अहमद ने संबोधित किया था. आप जानते ही होंगे कि शेख यासीन ने ही इजरायल और अमेरिका में आत्मघाती हमले करवाये थे. इसी सम्मेलन को फोन द्वारा जमात-ए-इस्लामी (पाक) के अध्यक्ष काजी हुसैन ने भी संबोधित किया था. यह सिमी ही था जिसने कानपुर के तमाम सिनेमघरों को बंद कराने का आदेश दिया था और वहां की लड़कियों को बुर्का पहनने की चेतावनी दी थी. <BR/>*********************************<BR/>चलिए मान लेते हैं कि आपका संवावदताता कानपुर नहीं गया था इसलिए इन जानकारियों से मरहूम रह गया हो लेकिन आपको यह पता ही होगा कि सिमी के पांच उद्येश्य हैं- अल्लाह मकसद हमारा, रसूल रहबल हमारा, कुरान कानून हमारा, जिहाद रास्ता हमारा, शहादत मंजिल हमारी. सिमी के लेटरहेड पर बने निशान में धरती पर कुरान रखा हुआ है और कुरान पर एके-४७ रायफल. इसलिए सिमी खुद अपने इरादों को छुपाकर नहीं रख रहा है. पृथ्वी पर कुरान और उस पवित्र किताब पर एके-४७ का अर्थ किसी को समझाने की जरूरत नहीं है. सिमी किसके खिलाफ जेहाद करना चाहता है और क्यों शहीद हो जाना चाहता है, क्या इसके पीछे छिपे मकसद को बताना होगा? एक मिनट में डेढ़ सौ बुलेट दागनेवाली एके-४७ का इस्तेमाल आखिर किस लक्ष्य के लिए होता है? हमें तो यह पता है कि इससे निकलेवाली गोलियां जान बचाती नहीं, जान लेती हैं. तरूण जी जितना आपको खाकी पैण्ट और लाठीधारियों से परहेज है उतना ही हमें भी है. छह इंच का चाकूनुमा त्रिशूल बांटनेवाले बजरंगदलियों से घृणा होती है, फिर एक-४७ लेकर देहाद का इरादा रखनेवाले हमारी नजर में मासूम कैसे हो सकते हैं? "काफिर भारत" को नेस्तनाबूत कर देने की प्रतिज्ञा लेनेवाले लादेन और तालिबान जिनके आदर्श हों उन्हें किन मानदंडों पर आप राष्ट्रवादी साबित करेंगे? आपकी यह रिपोर्ट बहुत सारे उर्दू अखबारों ने अपने यहां छापी है. निश्चित रूप से जो सिमी को इस्लाम का सच्चा खिदमतगार मानते हैं उन्हें आपकी रिपोर्ट से बहुत बल मिला है. लेकिन आपकी इस रिपोर्ट से उन मुट्ठीभर मुस्लिम बुद्धिजीवियों को जरूर धक्का लगेगा जो सिमी की देशविरोधी गतिविधियों से अपने संप्रदाय को सचेत करते रहे हैं. काश तहलका सिमी के मुखौटे के पीछे की असली सच्चाई सामने लाने की कोशिश की होती....<BR/>**********************************<BR/>आभार,<BR/>साजिद राशिद <BR/>(साजिद राशिद संजीदा पत्रकार हैं और जनसत्ता में नियमित कालम लिखते हैं.)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7405511104012700211.post-34067684429210034502008-09-30T16:33:00.000-04:002008-09-30T16:33:00.000-04:00सिमी का ये कला चेहरा भी देख लीजिये.......http://ww...सिमी का ये कला चेहरा भी देख लीजिये.......<BR/><BR/>http://www.visfot.com/corporate_media/simi_rashid_tehlka.html<BR/><BR/>note:-इस link को copy अपने address bar में pest कर ले ,इसके बाद enter key दबा दे ...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7405511104012700211.post-61977663520081906552008-09-30T09:18:00.000-04:002008-09-30T09:18:00.000-04:00हर चोर चोरी करने के बाद पकडे जाने के बाद यही कहेगा...हर चोर चोरी करने के बाद पकडे जाने के बाद यही कहेगा की उसने चोरी नही की ..चोरी उगलवा भी ली जाये ...कहेगा ...मुझसे जबरदस्ती उगलवाया जा रहा है...मुसलमानों के कितने घरो में भगतसिंह .गाँधी की फोटो मिलेगी ......बुरका पहन के टेनिस खिलाने वालो ....कम्युनिस्टों और हिन्दुओ से अपनी तुलना कर इनकी बेइज्जती मत करो ...... कुत्तो शर्म नही आती ,अपनी बहनों (मामा और भुआ की लडकी) से निकाह करते हो ....क्या यही "इस्लामी इंकलाब" लाना चाहते हो ........बेचारे "अशफाक उल्ला" को तरस आ रहा होगा अपनी कोम पर ...Dear मुस्लिम भाइयो ... अपने मदरसों में जेहाद पर सोच विचार कर अपना सर मत खपाओ ....A.P. J. अब्दुल कलाम की तरह सोचो http://www.abdulkalam.com/kalam/index.jsp<BR/>अंत में यही कहूंगा की वो क्या खाक भारतीय है जो "शाहिद बदर" जी को पढ़कर यहाँ .कमेन्ट न करे !!! जय भारत ...Anonymousnoreply@blogger.com