tag:blogger.com,1999:blog-7405511104012700211.post3139378266913091672..comments2023-07-14T09:31:39.420-04:00Comments on जनज्वार ब्लॉग : मंगर- शनिचर की पैदाईश में पतरू दूबे की भूमिकाUnknownnoreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-7405511104012700211.post-37848452271527181872011-06-18T02:24:17.631-04:002011-06-18T02:24:17.631-04:00वाह गजराज वाह. अबतक कहाँ छुपे थे. बहुत ही अच्छा लि...वाह गजराज वाह. अबतक कहाँ छुपे थे. बहुत ही अच्छा लिखा, बड़े दिनों से जनज्वार पर आपकी तलाश थी. वैसे भाई ये गजराज है कौन ?रोहित पाण्डेयnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7405511104012700211.post-58458360592406818462011-06-16T22:58:53.421-04:002011-06-16T22:58:53.421-04:00इहे बतिया त हमहू कहिए से समझत रहीं कि ‘विचारों में...इहे बतिया त हमहू कहिए से समझत रहीं कि ‘विचारों में जीने वाले चूतिया होते हैं’ इहे नाहीं ‘विचारों को आधार बनाकर बात बाँचने वाले परम-चूतिया।’ लेकिन जहाँ पढ़ल जाता ई घड़ी उहाँ विचारवान(?) के ओहदा पावे खातिर बड़ी छीनाझपटी बा। लोग बिअफे जइसन गुरुवे लगावेला अपना के। ओकरा से तनिका एने-ओने बर्दाश्त नईखे। चाहे विचार आपन उपराजल होखे या कहीं और के। लइका उमिर के हमहूं इहे ‘टैक्टिस’ अपनाइला कबो-कबो? मंगर और शनिचर बने के बड़ी अरमान हमरो मन में बा? आज ई फोटलचरी पढ़िके हिया में लागल कि अइसन जरूरे हमहूं कर सकिला। आजकल पानी-बूनी, खाए-पिए और काम-मजूरी के भले टोटा रहे। बाकी विचार तऽ बजरिया में खूब चलेला कगजन पर धकमपेल।<br /><br />छोड़ल जाए ई बात, रउवा जवन ढंग से मंगर और शनिचर के साथ सूबेदार और पतरू दूबे के ‘कैरेक्टर’(असलीका) बंचले हईं, पेट हर्षाए लागल। दिमागवा में खुदुर-बुदुर होता तवन अलग।Rajeev Ranjanhttp://www.issbaar.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7405511104012700211.post-87727046164604534792011-06-16T14:38:17.030-04:002011-06-16T14:38:17.030-04:00अदभुत है यह भूमिका. क्या बात है जनज्वार मजा आ गया....अदभुत है यह भूमिका. क्या बात है जनज्वार मजा आ गया.पवन देहरादूनnoreply@blogger.com